Stock Market का नाम सुनते ही बहोत सारे लोगो के मन में बहोत सारे सवाल आते है .जैसे की क्या ये सट्टा है ? क्या इसे लोग बर्बाद होते है ? क्या इससे लोग सारे पैसे गवा देते है ?
इस तरह का डर हम लोगों के दिमाग में शेयर मार्केट के लिए बना है. अगर मै कहू की ये बात सही है की ये जुआ है सट्टा है तो, आप बोलोगे तुम ये क्या बात कर रहे हो तो ये सट्टा उन लोगों के लिए है जिन्होंने इसके बारे में कुछ भी जानकारी नहीं लि ओर नसीब के भरोसे पैसे लगा दिए.
आप को एक बात बताऊ हर एक वो चीज सट्टा है जो आप बिना सोचे समजे करते हो. इस लिए जो लोग शेयर मार्केट को जिस तरह से लेते है उसी तरह उसका फल उन्हे मिलता है. इसलिए किसी भी चीज को नाम रखने से पहले उसे जान लेना जरूरी है. बिना किसी के बारे में जाने उसे नाम रखना भी एक जुआ है
What is Share?
शेयर का अर्थ है “हिस्सा,” जो किसी कंपनी के स्वामित्व का एक भाग होता है, जिसे एक शेयर (one share) कहा जाता है। शेयर कंपनी की कुल पूंजी का सबसे छोटा हिस्सा होता है और इसे स्टॉक या इक्विटी भी कहा जाता है।
शेयर को समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं:
मान लीजिए XYZ लिमिटेड की कुल पूंजी ₹2,000 है। यह कंपनी अपनी कुल पूंजी को 200 समान भागों में बांट देती है। इस तरह, प्रत्येक भाग की वैल्यू ₹10 (2000÷200) होगी। ये ₹10 का भाग ही XYZ लिमिटेड का सबसे छोटा हिस्सा है, जिसे शेयर कहते हैं।
कंपनी की कुल पूंजी को शेयर कैपिटल (Share Capital) कहा जाता है। कंपनी की शेयर कैपिटल इस फॉर्मूले से निकाली जाती है:
SHARE CAPITAL = Total number of Shares × Share Price
इस उदाहरण में कुल शेयर 200 हैं और शेयर प्राइस ₹10 है, तो कंपनी की शेयर कैपिटल ₹2,000 होगी।
Stock Market Kya hota Hai ?
शेयर मार्केट एक ऐसा स्थान है जहाँ लिस्टेड कंपनियों के शेयरों की खरीद और बिक्री होती है। यहाँ स्टॉक्स का लेन-देन स्टॉक ब्रोकर के माध्यम से किया जाता है।
लिस्टेड कंपनियाँ वे होती हैं, जो अपने शेयरों को स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड करने के लिए सूचीबद्ध करती हैं। शेयर बाजार में सिर्फ शेयर ही नहीं, बल्कि बांड्स, म्यूचुअल फंड्स और डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट भी व्यापार के लिए उपलब्ध होते हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि “शेयर मार्केट,” “स्टॉक मार्केट,” और “इक्विटी मार्केट” एक ही चीज हैं, और कई लोग इनमें भ्रमित हो जाते हैं।
शेयर मार्केट का संचालन स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से होता है। भारत में दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज हैं: बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)
Bombay Stock Exchange (BSE)
Bombay Stock Exchange को सेन्सेक्स के नाम से भी जाना जाता है यह इंडिया का सबसे पुराना और पहले स्टॉक एक्सचेंज है बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में 5000 से भी ज्यादा कंम्पनियां लिस्टेड है.https://www.bseindia.com/ जो की बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की अफिशल वेबसाईट है.
National Stock Exchange (NSE)
National Stock Exchange को निफ्टी के नाम से भी जाना जाता है इंडिया का पहला डिजिटल एक्सचेंज है. निफ्टी में इंडिया की टॉप 50 कंपनियां शामिल है इसलिए इसे निफ्टी 50 के नाम से भी जाना जाता है.
निफ्टी और सेंसेक्स को इंडेक्स नाम से भी जाना जाता है. और भी कई सारे इंडेक्स हमारे स्टॉक मार्केट में अवेलेबल है जैसे की बैंक इंडेक्स जिसे हम बैंक निफ़्टी कहते हैं और फार्मा इंडेक्स जिसे हम निफ़्टी फार्मा कहते हैं। यानि मान
लीजिए की आपके पास बैंक के कुछ शेयर है तो आपको बैंक इंडेक्स यानि बैंक निफ्टी के द्वारा ही समज सकते हो की बैंकिंग शेयर में बढ़ोतरी हुई है य गिर चुके है.https://www.nseindia.com/ इस वेबसाईट पर जाके आप Nse में लिस्टिड कंपनी के नाम जान सकते हो.
तो आप बहुत सारी चीज समझ चुके होंगे तो आप समझते हैं शेयर क्या होता। शेयर के नाम में ही उसका अर्थ छुपा है शेयर यानी साझा करना ।
मान लीजिए आपने एक कंपनी की शुरवात की और आपको लगता है कि आपका बिजनेस और अच्छा चल सकता है उसके लिए आपको पैसे की जरूरत है वह जरूर पूरी करने के लिए आपने अपने बिजनेस के लिए एक पार्टनर चुना जो आपको पैसे की मदद करेगा और उसके बदले में आप उसे जो भी प्रॉफिट होगा उसका परसेंटेज वाइज आप उसे वह प्रॉफिट अदा करोगे.
इस प्रकार आपका बिजनेस जैसे-जैसे और बड़ा होगा वैसे-वैसे आपको और ज्यादा पैसों की जरूरत पड़ेगी और वह जरूरत पूरी करने के लिए आपको आपकी कंपनी शेयर मार्केट में लिस्ट करनी होंगी ।इस कंपनी को हम शेयर के नाम से जानते हैं.
जिस भी कंपनी के शेयर हम खरीदते हैं उस कंपनी के हम हिस्सेदार बनते हैं यानी शेयर होल्डर (पार्टनर) बनते हैं मतलब उस कंपनी को जो भी प्रॉफिट या लॉस होता है उसके हिसाब से हमें रिटर्न मिलता है। इसलिए किसी भी कंपनी में निवेश करने के पहले उसका टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस करके ही उसे कंपनी में निवेश करना जरूरी होता है।
इस प्रकार आप जोभी शेयर खरीदकर लम्बे समय तक उसे होल्ड करके चलते हो उसे ही हमने कुछ नाम दिए है जैसे की १)इन्वेस्टर २)शेयर होल्डर
ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग में क्या फर्क होता है
पहले हम ट्रैडिंग किसे कहते है उसे समजते है
ट्रैडिंग ओर उसके प्रकार :-
अल्प कालावधी मेंस्टॉक, बॉन्ड, करन्सी, कुमुडीटी जैसे अन्य संसाधनों द्वारा सिर्फ प्रॉफ़िट
होने के बाद उसे बेच देना यानि जिसका उद्देश सिर्फ कम कालावधी मे प्रॉफ़िट या लॉस बुक करना उसको ट्रैडिंग कह सकते है. इसमें एक मर्यादित कालावधी में उस पज़िशन को यानि स्टॉक को बेचना पड़ता है. उससे ट्रैडिंग के कुछ प्रकार पड़ते है.
इंट्रा डे ट्रैडिंग :-
इस ट्रैडिंग को डे ट्रैडिंग भी कहते है. इस ट्रैडिंग में एक ही दिन में शेयर खरेदने ओर बेचने का काम किया जाता है यानि इसका कालावधी 1 दिन का होता है . अपना मार्केट सूबह 9.15 से 3.30 तक आप ट्रैडिंग कर सकते हो . अगर किसी कारण वश आप शेयर बेचने में विफल रहते हो तो आपका ब्रोकर आपके शेयर खुद बेच देता है.
उसके अतिरिक्त चारजेस आपको देने पड़ते है. इस ट्रैडिंग में चाहे प्रॉफ़िट हो या लॉस हो आपको आपकी पोजीशन अपने टाइम के अंदर बेचनी पड़ती है . अगर आपको लगता है की आपको ये शेयर लॉंग टर्म रखना है तो आप उसे कन्वर्ट भी कर सकते हो.
स्विंग ट्रैडिंग :-
शेयर प्राइज़ में होने वाले उतार चढाव का टेक्निकल अनैलिसिस करके उसको 10 से 15 दिन या फिर महीने बाद होल्ड करके अपना प्रॉफ़िट होने के बाद उसको बेच देना उसको स्विंग ट्रैडिंग कहते है. इसमे आपका प्रॉफ़िट आपके अनलिसिस के साथ एंट्री ओर exit पर depend होता है. कभी कभी कुछ न्यूज ओर कंपनी का रिजल्ट का अनलिसिस करके भी स्विंग ट्रैडिंग की जाती है.
पोजीशनल ट्रैडिंग :-
इस प्रकार के ट्रैडिंग में स्विंग ट्रैडिंग के समान शेयर को कुछ महीनों तक होल्ड किया जाता है. सिर्फ उसकी अवधि कभी कभी 1 महीने से ज्यादा ओर 1 साल से काम की होती है.
स्केलपिंग :-
इस प्रकार की ट्रैडिंग में बाजार की अच्छी समज होनी जरूरी है. किसी भी ब्रैकआउट ओर ब्रैक्डाउन पे आप एंट्री लेके कुछ सेकंड या मिनिटों में आप प्रॉफ़िट या लॉस बुक करते हो तो वो उसे स्केलपिंग कहते है.
इन्वेस्टिंग :-
इन्वेस्टिंग में शेयर को कम से कम 5 साल से ऊपर होल्ड करते हो उसे हम लॉंग टर्म इन्वेसस्टिंग कहते है. इसमे शेयर का फन्डामेंटली स्ट्रॉंग होना जरूरी होता है उसीके साथ कम्पनी का फ्यूचर ओर प्रोडक्ट उसकी बैलन्स शीट को देखके उसमें निवेश की रननीति तय की जाती है.
Benifit of Investing
यदि आपके पास किसी कंपनी के स्टॉक्स हैं, तो आपको शेयर होल्ड करने के कई लाभ मिलते हैं:
- लाभांश (Dividend) – यदि आपकी शेयरों की कंपनी अच्छा मुनाफा कमा रही है और आपके शेयर आपके डीमैट अकाउंट में हैं, तो कंपनी आपको डिविडेंड का भुगतान कर सकती है। यह लाभांश सीधे आपके बैंक अकाउंट में क्रेडिट होता है।
- शेयर वैल्यू ग्रोथ (Share value growth) – यदि आपने जो शेयर खरीदे हैं, उनकी कीमत बढ़ती है, तो आप उन्हें बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं। यदि कंपनी का कारोबार अच्छा चल रहा है और वह लगातार विकसित हो रही है, तो कंपनी के स्टॉक्स की कीमत में भी धीरे-धीरे वृद्धि होगी।
- राइट शेयर और बोनस शेयर – कभी-कभी, आपकी कंपनी द्वारा बोनस शेयर या राइट इश्यू जारी करने पर आपके शेयरों की संख्या में भी बढ़ोतरी होती है।